बस्तर हिन्दी के प्रथम साहित्यकार पं. केदारनाथ ठाकुर एवं उनकी अमर कृति बस्तर भूषण.....!
आजादी के पूर्व हमारे देश मे आंचलिक संस्कृति विषयक प्रकाशन के जो पुनीत कार्य हुए हैं उसमे बस्तर भूषण का अपना विशिष्ट महत्व है. जनजातियो के अध्ययन की दृष्टि से बस्तर विश्व विख्यात क्षेत्र है.बस्तर भूषण पण्डित केदारनाथ ठाकुर की प्रस्तुत कृति बीसवी सदी मे प्रकाशित बस्तर विषयक प्रथम स्रोत है. 1908 इस्वी प्रकाशित बस्तर भूषण को हिन्दी का प्रथम गजेटियर भी कहा जा सकता है.
मध्यप्रदेश के पूर्वान्चल महाकौशल गोंडवाना एवं छत्तीसगढ़ के राजनैतिक सांस्कृतिक इतिहास मे ठक्कुर परिवार का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. गोंडवाना की वीरांगना रानी दुर्गावती के दरबार मे महेश ठक्कुर एवं उसके परिवार का विशेष सम्मान था.
सोलहवी सदी के उत्तरार्ध मे अकबर से ताम्रपत्र प्राप्त करने के बाद ठक्कुर परिवार के एक सदस्य जबलपुर से दरभंगा गये और वहां के महाराजाधिराज हुए.
उन्ही के दुसरे भाई एवं उनके परिवार के सदस्य इस अंचल में रहते हुए गढा मण्डला, रतनपुर, खैरागढ राज एवं बस्तर राज्य मे राजगुरु, राजपुरोहित, राज ज्योतिष आदि पदो पर कार्य करते रहे एवं उनकी विद्वता का प्रभाव इस क्षेत्र के विकास मे पड़ता रहा.
बस्तर के राजगुरु पण्डित रंगनाथ ठक्कुर के पांचवे पुत्र गम्भीरनाथ ठाकुर के केदारनाथ ठाकुर ज्येष्ठ पुत्र थे.
केदारनाथ ठाकुर का जन्म गम्भीरनाथ ठाकुर एवं कुलेश्वरी देवी से रायपुर मे लगभग 1870 इस्वी मे हुआ. इनके माता पिता की मृत्यु एक ही दिन कार्तिक पूर्णिमा के दिन रायपुर मे हुई थी. तार द्वारा सूचना पाकर केदारनाथ ठाकुर टांगा द्वारा तीन दिन में रायपुर पहुंचे.वहां उन्होंने श्रादध कर्म एवं दान पूण्य किया. वहां रायपुर मे एक तालाब खुदवाया, उसके मध्य खम्भे पर माता पिता का नाम खुदवाया तथा तालाब का नाम रामसागर रखा.इसके अतिरिक्त तालाब के किनारे आम का बगीचा भी लगवाया.
केदारनाथ ठाकुर ने अपने युवाकाल मे बस्तर भूषण ग्रंथ की रचना की जिसकी समालोचना नवम्बर 1908 मे सरस्वती पत्रिका एवं वेकटेश्वर समाचार मे प्रकाशित हुई. बस्तर के महाराजा रुद्रप्रताप देव ने इसकी प्रंशसा की है. केदारनाथ ठाकुर की प्रमुख कृतियाँ बस्तर भूषण, भाषा पद्यमय सत्य नारायण, बसंत विनोद है. जिनको इन्होंने केदार विनोद नामक पुस्तक मे संग्रहित किया था.
बस्तर भूषण से लिया गया