Chhattisgarh Ka Itihas-छत्तीसगढ़ का इतिहास


छ. ग. परिचय एवं नामकरण

परिचय

  • प्राचीन नाम दक्षिण कौशल माना जाता है।
  • रामायण, महाभारत काल मे इस क्षेत्र का उल्लेख मिलता है।
  • 6वीं-12वीं शताब्दी के मध्य स्थानीय राजवंशों राजर्षितुल्य, नल-नाग, शरभपुरीय, पाण्डु वंश, छिंदक नागवंश, फणी नागवंश, एवं सोमवंशियों का शासन क्षेत्र था।
  • कलचुरियों का शासन 875 ई. से 1741 ई. तक उल्लेख मिलता है। 
  • मराठा शासन काल 1741 ई. से 1854 ई. तक रहा।
  • ब्रिटिश शासन के अधीन 1854 ई. रहा।
  • ब्रिटिश शासन काल मे राजधानी रतनपुर से रायपुर स्थानांतरित हुआ।
  • 1 नवम्बर 2000 ई. को छ. ग. 26 वां राज्य बना।

नामकरण

  • ब्रिटिश इतिहासकर जे.बी. बेग़लर मतानुसार छत्तीसघर।
  • सर्वाधिक मान्यताप्राप्त नामकरण-कलचुरी-हैहयवंशी के शासनकाल में इस क्षेत्र में 36 गढ़ - 18 गढ़ रतनपुर शाखा और 18 गढ़ रायपुर शाखा अंतर्गत था, इसलिए इस क्षेत्र का नाम छत्तीसगढ़ पढ़ा।
  • रायपुर शाखा के 18 गढ़- रायपुर, पाटन, सिमगा, सिंगारपुर, लवन, ओमेरा, दुर्ग, सारधा, सिरसा, मेहंदी, खल्लारी, सिरपुर, फिंगेश्वर, राजिम, सिंघनगढ़, सुवरमार, टेंगनागढ़ एवं अकलतरा.
  • रतनपुर शाखा के 18 गढ़- रतनपुर, विजयपुर, खरौद, मारो, कौटगढ़, नवागढ़, सोंधी, औखर. पढ़रभट्ठा, सेमरिया, चाम्पा, लाफा, छुरी, केन्डा, मातिन, अपरोरा, पेंड्रा, कुरकुटी.
  • रायपुर गजेटियर 1973 ई. में 36 गढ़ो की स्थिति बताई गई है।
  • मराठा शासनकाल में भोंसला साम्राज्य के अंतर्गत छत्तीसगढ़ नामकरण को ज्यादा प्रसिद्धि मिली।

पाषाण काल

पुरा पाषाणकालीन उपकरण क्षेत्र

  • रायपुर(महानदी घाटी). बिलासपुर क्षेत्र.

मध्य पाषाणकालीन उपकरण क्षेत्र

  • रायगढ़, बिलासपुर, बस्तर

महा पाषाणकालीन उपकरण क्षेत्र

  • रायपुर, दुर्ग (नोट-दक्षिण भारतीय संस्कृति से मिली जुली सभ्यता के साक्ष्य)

वैदिक काल

ऋग्वैदिक काल

  • इस काल में छ.ग. का  कोई उल्लेख नहीं है.

उत्तर वैदिक काल

  • आर्यों का प्रवेश व प्रसार छ.ग. में हुआ.
  • उत्तर वैदिक साहित्य में नर्मदा नदी का उल्लेख रेवा नदी के रूप में मिलता है.
  • उत्तर वैदिक कालीन "कौषीतकी" उपनिषद में विंध्य पर्वत का उल्लेख मिलता है.

महाकाव्य काल

रामायण काल

  • महाकाव्य "रामायण" के अनुसार, कौशल राज्य के दो भाग थे.
  • 1. उत्तर कौशल (राजधानी-साकेत या अयोध्या), 2. दक्षिण कौशल (राजधानी- श्रावस्ती).
  • माता कौशिल्या, दक्षिण कौशल नरेश- राजा भानुमंत की पुत्री थी, जिनका विवाह उत्तर कौशल नरेश- राजा दशरथ के साथ हुआ.
  • भगवान राम के वनवास का अधिकांश समय दंडकारण्य(छ.ग. के आसपास का क्षेत्र)  में बीता.
  • भगवान राम से से सम्बद्ध प्रमुख स्थल- सीतामढ़ी-हरचौका, रामगढ़ की पहाड़ी, शिवरीनारायण, तुरतुरिया, चंदखुरी, राजिम, सिहावा, बस्तर(चित्रकूट) आदि प्रमुख स्थल है.
  • महर्षि वाल्मीकि का आश्रम- सिरपुर के समीप तुरतुरिया (V.IMP.)में स्थित है. भगवान राम द्वारा माता सीता का त्याग किये जाने के बाद तुरतुरिया में ही माता सीता ने अपने दोनों पुत्रों- लव और कुश को जन्म दिया.
  • उत्तर कौशल का राज्य ज्येष्ठ पुत्र लव को एवं दक्षिण कौशल का राज्य कनिष्ट पुत्र कुश को मिला.
  • दक्षिण कौशल की राजधानी- श्रावस्ती को कुश के नाम पर कुशस्थली के नाम से जाना जाता है.(V.IMP.)

महाभारत काल

  • महाभारत काल में इस क्षेत्र को प्राक कोशल या कोशल नाम से जाना जाता था.
  • महाभारत काल में बस्तर के अरण्य क्षेत्र के कान्तार कहा जाता था. (IMP).
  • महाभारतकालीन चेदी नरेश शिशुपाल का वध श्रीकृष्ण ने किया था.
  • अन्य चेदी नरेश बभ्रुवाहन पान्डु पुत्र अर्जुन का पुत्र था, जो की महाभारत कालीन था.
  • महाभारत कालीन वर्तमान प्रमुख स्थलों के प्राचीन नाम-
      1. बिलासपुर -ऋषयतीर्थ
      2. रतनपुर - मणिपुरे
      3. सिरपुर- चित्रांगदपुर (बभ्रुवाहन की राजधानी). (IMP)

महाजनपद काल

  • बौध्द रचना -"अंगुत्तर निकाय", जैन रचना- "भगवती सुत्त" में 16 महाजनपदों का उल्लेख है.
  • कौशल जनपद 16 जनपदों में से एक था, जो दो भाग में बंटा था, 1. उत्तरी कौशल 2. दक्षिण कौशल.
  • "अवदान शतक" के अनुसार महात्मा बुध्द 3 माह तक दक्षिण कौशल की राजधानी श्रावस्ती में निवास किये.
  • चीनी यात्री व्हेनसांग के यात्रा वृतांत सी-यू-की में दक्षिण कौशल का उल्लेख मिलता है.

मौर्य कल

  • मौर्य सम्राट- अशोक ने दक्षिण कौशल की राजधानी श्रावस्ती में स्तूप का निर्माण करवाया.
  • मौर्य कालीन अभिलेख सरगुजा जिले से प्राप्त हुवे है.
  • रामगढ़ के निकट कबरा पहाड़ एवं सिंहनपुर की सीताबेंगरा और जोगीमारा गुफा से प्राप्त मौर्यकालीन अभिलेख ब्राम्ही लिपि में लिखे गए थे.
  • गुफा में सुतनुका नामक देवदासी एवं उसके प्रेमी देवदत्त का उल्लेख मिलता है.
  • विश्व की प्राचीनतम नाट्यशाला(रंगशाला) सीताबेंगरा गुफा में स्थित है, जहाँ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मंचन होता था.
  • मौर्यकालीन बौध्द भिक्षुणियों का विहार तुरतुरिया से मिला है, इस विहार में भगवान बुद्ध की प्रतिमा आज भी विद्यमान है.
  • मौर्यकालीन आहत सिक्के (Punch-Marked coins) अकलतरा, ठठारी, बार एवं बिलासपुर से प्राप्त हुवे है. (VIMP)
  • मौर्यकालीन मिटटी के परकोटे वाले अनेक गढ़ मिला है, जिसका सम्बन्ध आटविक राज्य से है.
  • बस्तर के आदिवासियों की सामाजिक व्यवस्था मौर्यकालीन आटविकों के सामाजिक व्यवस्था के समान थी.

सातवाहन काल

  • चीनी यात्री व्हेनसांग के यात्रा वृतांत सी-यू-की में दक्षिण कौशल में सातवाहनो के राज्य का उल्लेख किया है.



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