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व्याख्याता भर्ती परीक्षा वाणिज्य विषय सिलेबस

 



व्याख्याता-वाणिज्य के पद हेतु परीक्षा योजना (कुल अंक-150)
1 लेखाशास्त्र : 35 अंक
2 व्यवसाय अध्ययन : 35 अंक
3 अर्थशास्त्र : 30 अंक
4 शैक्षिक मनोविज्ञान, शिक्षा में आंकलन एवं मुल्यांकन, शिक्षण शास्त्र, शैक्षिक अभिवृत्ति: 30 अंक
5 सामान्य हिंदी : 05 अंक
6 सामान्य अंग्रेजी: 05 अंक
7 कंप्यूटर की सामान्य जानकारी: 05 अंक
8 सामान्य ज्ञान : 05 अंक

लेखाशास्त्र


1. लेखांकन का परिचय - लेखांकन- अर्थ, विशेषताएँ, उद्देश्य, लाभ एवं सीमाएँ, लेखांकन सूचना - प्रकार, लेखांकन सूचना के उपयोगकर्ता तथा इनकी आवश्यकता, लेखांकन सूचना के गुणवत्ता के निर्धारक तत्व ।

2. लेखांकन के आधारभूत शब्द- व्यावसायिक साँदे, खाता, पूँजी, आहरण, दायित्व, सम्पत्तियाँ- (स्थायी व चल सम्पत्तियाँ, मूर्त एवं अमूर्त सम्पत्तियाँ) प्राप्तियाँ (पूँजीगत व आगमगत) खर्च (पूँजीगत, आगमगत व स्थगित), व्यय, आय, लाभ, हानियाँ, क्रम, क्रय वापसी, विक्रय विक्रय वापसी, माल, स्कन्ध, देनदार, लेनदार, देय विपत्र, प्राप्य विपत्र, लागत, प्रमाणक, कटौती- व्यापारिक एवं नगद, अन्य महत्वपूर्ण लेखांकन शब्द-स्वामी, लेखा पुस्तकें, आवर्त इकाई, प्रविष्टि, डेबिट एवं क्रेडिट, जीवित स्कन्ध, स्टोर, डूबत ऋण, शोधक्षम, दिवालिया, कमीशन।

3. लेखांकन के सैद्धान्तिक आधार एवं लेखांकन प्रमाप-लेखांकन के सैद्धान्तिक आधार, लेखांकन की आधारभूत मान्यताएँ चालू व्यवसाय की मान्यता, संगतता या समरूपता की मान्यता, उपार्जन की मान्यता, लेखांकन सिद्धान्त-लेखांकन इकाई सिद्धान्त, मुद्रा मापन सिद्धान्त, लेखांकन अवधि सिद्धान्त, पूर्ण प्रकटीकरण का सिद्धान्त, सारता का सिद्धान्त, दूरदर्शिता का सिद्धान्त लागत की अवधारणा, मिलान की अवधारणा, द्विपक्षीय अवधारणा, लेखांकन प्रमाप और IFRS (अन्तर्राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्ट प्रमाप) धारणा एवं उद्देश्य ।

4. दोहरा लेखा प्रणाली दोहरा लेखा प्रणाली- अर्थ, विशेषताएं, सिद्धान्त, गुण व दोष लेखांकन सोपान । - 5. लेखांकन का आधार रोकड़ आधार, उपार्जन आधार- लेखांकन का आधार रोकड़ आधार, उपार्जन - - आधार।

6. लेखांकन समीकरण एवं डेबिट-क्रेडिट के नियम-लेखांकन समीकरण- लेखांकन समीकरण के आधार पर लेन-देनों का विश्लेषण, लेन-देनों या सौदों का लेखांकन समीकरण पर प्रभाव (कमी या वृद्धि ) - सम्पत्तियाँ, दायित्व, पूँजी, आगम एवं व्ययों पर प्रभाव, डेबिट एवं क्रेडिट के नियम- सम्पत्तियाँ, दायित्व, पूँजी, आगम एवं व्ययों से सम्बन्धित नियम ।

7. सौदों की उत्पत्ति - स्त्रोत प्रलेख एवं प्रमाणक- सौदों की उत्पत्ति-स्रोत प्रलेख / सपोर्टिंग प्रमाणक-बीजक कैशमेमो, जमा पर्ची, चेक, डेबिट नोट, क्रेडिट नोट लेखांकन प्रमाणकों का निर्माण रोकड़ (डेबिट एवं - क्रेडिट) और गैर रोकड़ (हस्तान्तरण)

8. प्रारम्भिक लेखे की पुस्तक जर्नल व्यावसायिक लेन-देनों का लेखा करना प्रारंभिक लेखे की पुस्तक, - जर्नल (रोजनामचा)।

9. प्रारम्भिक प्रविष्टि की पुस्तकें रोकड़ बही - रोकड़ बही- साधारण रोकड़ बही, कटौती (बट्टा) खाने सहित रोकड़ बही एवं बैंक व रोकड़ कॉलम तथा बैंक कटौती (बट्टा) कॉलम सहित रोकड़ बही, लघु रोकड़ बही।

10. प्रारम्भिक प्रविष्टि की पुस्तकें- विशेष उद्देश्य वाली सहायक बहियाँ अन्य पुस्तकें - क्रय बही, विक्रय वहीं, क्रय वापसी वही, विक्रय वापसी वही एवं मुख्य जर्नल ।

11. बैंक समाधान विवरण- बैंक समाधान विवरण अर्थ, आवश्यकता, अन्तर के कारण, बैंक समाधान विवरण तैयार करना, संशोधित रोकड़ बही शेष |

12. खाताबही- खाताबही प्रारूप, जर्नल से खतौनी, रोकड़ बही एवं अन्य विशेष उद्देश्य वाली सहायक बहियों से खतौनी, खातों का शेष निकालना। 

13. तलपट- तलपट- अर्थ, उद्देश्य एवं तलपट का निर्माण क्षेत्र केवल शेष विधि से तलपट तैयार करना। 

14. मूल्य ह्रास-  ह्रास अवधारणा, आवश्यकता एवं प्रभावित करने वाले तत्व, हास लगाने की विधियाँ-सीधी रेखा पद्धति तथा घटते हुए मूल्य या अपलेखित मूल्य पद्धति (विधि परिवर्तन को छोड़कर), सम्पत्ति खाता, इस आयोजन खाता व सम्पत्ति विक्रय खाता बनाकर ह्रास को प्रदर्शित करना।

15. आयोजन एवं संचय- आयोजन तथा संचय अवधारणा, उद्देश्य आयोजन एवं संचय में अन्तर, के प्रकार प्रकट संचय, गुप्त संचय, लाभगत संचय, पूँजी संचय, सामान्य संचय एवं विशेष संचय । संचय

16. विनिमय विपत्र - विनियम विपत्र एवं प्रतिज्ञा पत्र - अर्थ, विशेषताएँ, पक्षकार, प्रारूप, अन्तर, महत्वपूर्ण शब्द- विषय वस्तु, शर्तें, देय तिथि, अनुग्रह दिवस, परिपक्वता तिथि, बिल का भुनाना, बिल का बेचान, संग्रह हेतु भेजना, विपत्र का अनादरण, बिल का निकराई, बिल पूर्व प्रापण व नवीनीकरण, बिल सम्बन्धी विविध लेन देनों का लेखांकन। 

17. अशुद्धियों का सुधार- अशुद्धियाँ- अशुद्धियों के प्रकार, भूल-चूक हिसाब, सैद्धांतिक एवं क्षतिपूरक अशुद्धियाँ एवं इनका तलपट पर प्रभाव, अशुद्धियों का पता लगाना एवं सुधार करना, उचन्ती खाते का निर्माणकरना।

18. वित्तीय विवरण (समायोजन रहित) वित्तीय विवरण- उद्देश्य एवं महत्व, व्यापारिक एवं लाभ हानि खाता - सकल लाभ, संचालन लाभ एवं शुद्ध लाभ, स्थिति विवरण (चिट्ठा) - आवश्यकता, सम्पत्तियों और दायित्वों को समूहबद्ध एवं क्रमबद्ध करना।

19. वित्तीय विवरण-II अन्तिम खाते समायोजन सहित वित्तीय विवरण तैयार करने हेतु समायोजन अन्तिम रहतिया, अदत्त व्यय, पूर्वदत्त व्यय अर्जित आय, अग्रिम प्राप्त आय, हास, डूबत ऋण, संदिग्ध ऋणों के लिए प्रावधान, देनदारों पर बट्टा के लिए प्रावधान, असामान्य हानि, निजी उपयोग हेतु माल का आहरण, मुफ्त नमूने में माल का वितरण, प्रबंधक का कमीशन, एकाकी स्वामित्व का व्यापारिक एवं लाभ-हानि खाता तथा स्थिति विवरण, चिट्ठा तैयार करना।

20. अपूर्ण अभिलेखों से लेखा अथवा इकहरा लेखा प्रणाली- अपूर्ण लेखा प्रणाली- अर्थ, उपयोग एवं सीमाएँ, अवस्था विवरण विधि से लाभ हानि का निर्धारण करना। 

21. गैर-लाभकारी संगठनों के वित्तीय विवरण- गैर लाभकारी संगठन- अवधारणा, प्राप्ति एवं भुगतान खाता विशेषताएँ एवं निर्माण, आय और व्यय खाता- विशेषताएँ, दिए गए प्राप्ति एवं भुगतान खाता एवं अतिरिक्त सूचनाओं से आय-व्यय खाता एवं चिट्ठा तैयार करना।

22. कम्प्यूटर परिचय एवं लेखांकन में कम्प्यूटर- कम्प्यूटर परिचय तथा लेखांकन सूचना प्रणाली (AIS), कम्प्यूटर परिचय (मूल तत्व, क्षमता, कम्प्यूटर की सीमाएँ), परिचालन सॉफ्टवेयर प्रयोग सॉफ्टवेयर, एम. आई.एस. के भाग के रूप में लेखांकन सूचना प्रणाली (AIS), लेखांकन प्रक्रिया का मशीनी परिचालन या लेखांकन का प्रक्रम स्वत: हो जाना- अर्थ, आटोमेशन के चरण (1) मैनुअल या मानवीय लेखांकन तथा कम्प्यूटरीकृत लेखांकन में अन्तर कम्प्यूटरीकृत वातावरण में लेखांकन प्रक्रिया, लेखांकन सॉफ्टवेयर का चयन— सॉफ्टवेयर के प्रकार पूर्व निर्मित सॉफ्टवेयर, व्यावहारिक या व्यवस्थित सॉफ्टवेयर आवश्यकतानुसार तैयार सॉफ्टवेयर, लेखांकन समूह का निर्माण, प्रतिवेदनों की रूपरेखा का निर्माण।

23. लेखांकन तथा डाटाबेस प्रणाली- लेखांकन के परिप्रेक्ष्य में डाटाबेस प्रणाली एवं इससे सम्बन्धित अवधारणाओं की व्याख्या। 

24. साझेदारी फर्मों का आधारभूत सिद्धांत- साझेदारी का आशय साझेदारी की विशेषताएँ सीमित दायित्व साझेदारी, साझेदारी के अधिकार, साझेदारी संलेख, A एकाकी व्यापार और साझेदारी फर्म के लेखों में भिन्नता, क्या साझेदार बनने की कुछ योग्यता साझेदार में होनी चाहिए, साझेदारी संलेख का महत्व, साझेदारी संलेख तैयार करने के उद्देश्य, या आवश्यकता, साझेदारी संलेख के महत्वपूर्ण तथ्य, साझेदारी संलेख के अभाव में लेखांकन, व्यवहार को प्रभावित करने वाले नियम, साझेदारी लेखे के विशिष्ट पहलू साझेदारी अधिनियम के कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रावधान, साझेदारों में लाभ का विभाजन लाभ-हानि नियोजन खाता, लाभ-हानि नियोजन खाते से संबंधित, जर्नल प्रविष्टियों, लाभ-हानि नियोजन खाता, लाभ-हानि नियोजन खाते की विशेषताएँ, लाभ-हानि खाते तथा लाभ-हानि, नियोजन खाते में अन्तर पूँजी खाता, (अ) स्थायी पूँजी खाता, साझेदारों का पूँजी खाता, साझेदारों का पूँजी खाता, साझेदारों का चालू खाता, साझेदारों के चालू खाता, (ब) परिवर्तनशील पूँजी खाता, स्थायी तथा परिवर्तनशील पूँजी खाता में अन्तर पूँजी खातों एवं चालू खातों में अन्तर लाभ एवं हानि का विभाजन, साझेदारों में बन्द खातों के समायोजन, लाभ की गारण्टी, प्रारंभिक पूँजी की गणना, आहरण पर ब्याज की गणना आहरण पर ब्याज के सन्दर्भ में

25. साझेदारी फर्म का पुनर्गठन-  साझेदारी फर्म के पुनर्गठन का अर्थ, साझेदारी फर्म के पुनर्गठन की विशेषताएँ साझेदारी फर्म के पुनर्गठन के ढंग दशाएँ आवश्यकता, लाभ विभाजन अनुपात में परिवर्तन त्याग का अनुपात, नफे का अनुपात, त्याग के अनुपात तथा नफे के अनुपात में अन्तर लाभ विभाजन अनुपात में परिवर्तन, साझेदारों का नया अनुपात ज्ञात करने की विधियों, ख्याति (Goodwill), ख्याति की परिभाषा, ख्याति की विशेषताएँ, क्या ख्याति अमूर्त सम्पत्ति है, ख्याति उत्पन्न होने के कारण / ख्याति के प्रभावक तत्व, ख्याति का महत्व ख्याति के प्रकार, ख्याति की प्रकृति क्या ख्याति की राशि को अपलेखित कर देना चाहिए?, ख्याति के मूल्यांकन की आवश्यकता मूल्यांकन किन दशाओं में आवश्यक हैं ? ख्याति के मूल्यांकन की विधियाँ, औसत लाभ विधि, (A) वर्षों के क्रम संख्या से आशय या वर्षों के क्रय संख्या की आवश्यकता (B) औसत लाभ की गणना करते समय ध्यान देने योग्य बातें या तथ्य, समायोजित लाभ या भविष्य में प्राप्त होने वाले लाभ अथवा वास्तविक लाभ पर आधारित, भारित औसत लाभ विधि, अधिलाभ का आशय, (ब) औसत नियोजित पूँजी (स) औसत लाभ एवं वास्तविक औसत लाभ, अधिलाभ प्रणाली के लाभ, अधिलाभ प्रणाली के दोष, (3) पूँजीकरण विधि, (4) वार्षिकी पद्धति, ख्याति की विभिन्न विधियों का का तुलनात्मक अध्ययन, ख्याति के विभिन्न विधियों का आलोचनात्मक अध्ययन, सामान्य लाभ एवं अधिलाभ में अन्तर (A) औसत लाभ तथा अधिलाभ में अन्तर (B) ख्याति की अवधारणाएँ इन्स्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट्स ऑफ इंडिया द्वारा ख्याति का लेखा करने के बारे में नये मार्गदर्शक निर्देश, ख्याति का लेखा करने की विधियाँ सामान्य लाभ और अधिलाभ में अन्तर वस्तु के रूप में प्रीमियम का भुगतान, पुनर्मूल्यांकन विधि, ख्याति की राशि से ऋण खाता खोलना, गुप्त ख्याति, लेखांकन प्रमाप 10 के अनुच्छेद 16 के अन्तर्गत जारी किये गये मार्गदर्शक निर्देशों के अनुसार ख्याति के लेखांकन के सम्बन्ध में जर्नल प्रविष्टियाँ एक झलक में, नये साझेदार के प्रवेश का अर्थ, नये साझेदार को फर्म में शामिल करने के कारण, नया साझेदार बनने वाले व्यक्ति एवं संस्थाएँ, नये साझेदार की वैधानिक स्थिति, (A) नये साझेदार के अधिकार, (B) नए साझेदार के प्रवेश पर प्रमुख समस्याएँ, नये साझेदार द्वारा लायी गयी पूँजी की गणना तथा इससे सम्बन्धित लेखे, सम्पत्तियों एवं दायित्वों का पुनर्मूल्यांकन, पुनर्मूल्यांकन हेतु जर्नल प्रविष्टियाँ, नये साझेदार के प्रवेश के समय सम्पत्तियों और दायित्वों के पुनर्मूल्यांकन की आवश्यकता / उद्देश्य, सम्पत्तियों और दायित्वों के पुनर्मूल्यांकन का लेखांकन, कुछ स्मरणीय तथ्य, (A) पूँजी, (B) पूँजी की राशि, नये साझेदार का लाभ में भाग, नया लाभ विभाजन अनुपात, ख्याति का व्यवहार लेखांकन प्रमाप-10 के अनुसार, लेखांकन प्रमाप- 10. नये साझेदार के प्रवेश के समय ख्याति की विभिन्न दशाएँ एवं लेखा, फर्म की पुस्तकों में ख्याति का लेखा, (I) आधिक्य विधि (II) पुनर्मूल्यांकन विधि (III) अन्य विधियाँ, (IV) फर्म की सम्पत्तियों तथा दायित्वों के पुनर्मूल्यांकन का समायोजन करना ।

26. साझेदार का अवकाश ग्रहण एवं मृत्यु- साझेदार का अवकाश ग्रहण, साझेदार का निष्कासन या निकाला जाना, निवृत्त साझेदार की वैधानिक स्थिति, अवकाश ग्रहण करने सम्बन्धी लेखे, लाभ प्राप्ति अनुपात या अधिलाभ अनुपात, त्याग अनुपात और लाभ प्राप्ति अनुपात में अन्तर ख्याति का लेखा संपत्ति व दायित्वों का पुनर्मूल्यांकन, संचय व अवितरित लाभ से सम्बन्धित लेखे, निवृत्त साझेदार को देय राशि का भुगतान करना, पूँजी का समायोजन, साझेदार की मृत्यु, वैधानिक प्रतिनिधि या कानूनी उत्तराधिकारी का अर्थ, मृतक साझेदार के लाभ के हिस्से की गणना (मृत्यु तिथि तक ), संयुक्त जीवन बीमा पॉलिसी (A) व्यक्तिगत या एकल जीवन बीमा पत्र का अर्थ, (B) समर्पण मूल्य का अर्थ, मृतक साझेदार को भुगतान करने की विधियाँ, वार्षिकी द्वारा भुगतान, स्मरण पुनर्मूल्यांकन खाता, पुनर्मूल्यांकन खाते एवं स्मरणात्मक पुनर्मूल्यांकन खाते में अंतर, लेखा करने की दृष्टि से अवकाश ग्रहण तथा मृत्यु में अन्तर साझेदार की निवृत्ति एवं मृत्यु में अन्तर ।

27. साझेदार का विघटन-  विघटन/ समापन से आशय, समापन के प्रकार साझेदारी का आशय साझेदारी का समापन या साझेदारी का विघटन से आशय साझेदारी फर्म का समापन या विघटन का अर्थ, साझेदारी के विघटन तथा फर्म के विघटन में अन्तर साझेदारी विघटन की आवश्यक दशायें या कारण या आवश्यकता, (A) फर्म के ऋणों तथा व्यक्तिगत ऋणों में अंतर, साझेदारी फर्म के विघटन की आवश्यक दशायें / आवश्यकता या कारण, साझेदारी फर्म के विघटन के ढंग तरीके / रीतिया, समापन पर हिसाब का निपटारा, फर्म के समापन के प्रभाव, विघटन सम्बन्धी क्रियाएँ साझेदारों के व्यक्तिगत ऋणों का भुगतान, फर्म के विघटन पर खातों का निपटारा: धारा 48 फर्म के समापन पर लेखांकन प्रक्रिया, वसूली खाता, सम्पत्तियों की वसूली, दायित्वों का भुगतान, वसूली व्ययों का भुगतान, कमीशन का भुगतान, अघोषित सम्पत्ति एवं दायित्व, वसूली खाता बन्द करना, वसूली खाता का प्रारूप, साझेदारों के पूँजी खाते, साझेदारों के ऋण खाते बैंक अथवा रोकड़ खाता, ख्याति का लेखा साझेदारों के चालू खाते बनाना, (A) पुनर्मूल्यांकन खाता तथा वसूली, खाते में अन्तर, ख्याति, बिना लिखे दायित्व एवं सम्पत्तियाँ, संचय खाते।

28. कम्पनी- खाते अंश पूँजी का लेखांकन प्रारम्भिक कम्पनी की परिभाषाएँ कम्पनी की विशेषताएँ, साझेदारी और संयुक्त पूँजी कम्पनी में अन्तर्भेद, कम्पनी के प्रकार कम्पनी का निर्माण, एकल व्यक्ति, निजी तथा सार्वजनिक कम्पनी में अंतर, कम्पनी के प्रमुख प्रलेख, विशेषताएँ, पार्षद अन्तर्नियम, विशेषताएँ, प्रविवरण, प्रविवरण के उद्देश्य, कम्पनी के व्यापार आरंभ करने की अवस्था या चरण या प्रक्रिया, स्थानापन्न प्रविवरण, कम्पनी सम्बन्धी लेखे कम्पनी की वैधानिक बहियाँ, अंश, अंश की प्रकृति, अंशों के प्रकार, (1) साधारण अंश या समता अंश, समता अंशों के प्रमुख लाभ, समता अंशों की हानियाँ (II) पूर्वाधिकार अंश, अंश प्रमाण पत्र, अंश अधिपत्र अंश प्रमाणपत्र तथा अंश अधिपत्र में अन्तर, पूर्वाधिकार अंशों के प्रकार, पूर्वाधिकार अंश की विशेषताएँ पूर्वाधिकार अंशों के लाभ, पूर्वाधिकार अंशों के दोष अथवा हानियाँ, साधारण अंश एवं पूर्वाधिकार अंश में अन्तर स्कन्ध से आशय, स्कन्ध और अंश में अन्तर अंश पूँजी, कम्पनी की पूँजी के प्रकार, अंश पूँजी, अधिकृत पूँजी एवं निर्गमित पूँजी में अन्तर अधिकृत पूँजी तथा चुकता पूँजी में अन्तर पूँजी संचय व संचित पूँजी में अन्तर Format of Company's Balance Sheet, अंशों के निर्गमन की शर्तें या प्रकार, अंशों के निर्गमन की विधि, प्रारम्भिक व्यय, कर्मचारी स्कन्ध विकल्प योजना, अंशों की निजी व्यवस्था, स्वैट समता अंश, बोनस अंश या मुफ्त अंश, लाभांश, कम्पनी द्वारा रखी जानी वाली लेखा पुस्तकें, अंशों को निर्गमन की आवश्यकता (उद्देश्य) की आवश्यकता, (ब) राशि किस्तों में प्राप्त होने पर, अल्प अभिदान एवं अति अभिदान, अति अभिदान, अंशों का प्रब्याजी या प्रीमियम पर निर्गमन (A) अदत्त / बकाया या अवशिष्ट याचनाएँ (1) (A) अग्रिम याचना (B) माँग पर बकाया और अग्रिम याचना का भुगतान में अन्तर, रोकड़ के अतिरिक्त प्रतिफल में अंशों का निर्गमन, प्रर्वतकों के अंशों का निर्गमन, अंशों का हरण से आशय, अंशों के हरण की प्रक्रिया, अंशों के हरण के प्रभाव, हरण की छूट, अंशों के हरण पर लेखांकन की विधि, हरण किये गये अंशों का पुनर्निर्गमन, (A), जब्त अंशों के पुनर्निर्गमन को आबंटन क्यों नहीं कहते हैं ?, हरण किये गये अंशों के पुनर्निर्गमन पर की जाने वाली प्रविष्टियाँ, कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजना, अधिकार निर्गमन, अंशों की वापसी खरीद

29. ऋण पत्रों का निर्गमन एवं शोधन - ऋणपत्र का अर्थ और परिभाषा, बॉण्ड का अर्थ, बॉण्ड और ऋणपत्र में अंतर, ऋणपत्र की विशेषताएँ ऋणपत्र की प्रकृति, अंशधारी तथा ऋणपत्रधारी में अन्तर Aऋणपत्र तथा ऋणपत्र स्कंध में अन्तर B ऋणपत्र निर्गमन के उद्देश्य, ऋणपत्रों के प्रकार, ऋणपत्र तथा अंश में अन्तर ऋणपत्रों के निर्गमन से कम्पनी के लाभ, (A) ऋणपत्रों का निर्गमन कब और क्यों किया जाता है ?, प्रभार, ऋणपत्र ट्रस्ट अनुबन्ध, कम्पनी अधिनियम 2013 और ऋणपत्रों का निर्गमन, ऋणपत्रों के निर्गमन के प्रकार, ऋणपत्रों के निर्गमन हेतु रोजनामचा प्रविष्टियाँ, नकद के लिए ऋणपत्रों का निर्गमन, प्रतिफल की दृष्टि से ऋणपत्रों का निर्गमन, रोकड़ के लिए ऋणपत्रों का निर्गमन, सममूल्य पर ऋणपत्रों का निर्गमन, प्रीमियम मूल्य पर ऋणपत्रों का निर्गमन, ऋणपत्रों का कटौती पर निर्गमन (A) आर्थिक चिट्टे में प्रदर्शन, ऋणपत्रों का अधि अभिदान, अग्रिम याचना का भुगतान, माँग पर बकाया / अवशिष्ट याचना, नकद छोड़कर अन्य प्रतिफल में ऋणपत्रों का निर्गमन, जब व्यापार खरीदा जाए, सहायक प्रतिभूति के रूप में ऋणपत्रों का निर्गमन, ऋणपत्रों की ब्याज पर आयकर की कटौती, ऋणपत्रों का शोधन, ऋणपत्रों के शोधन (वित्त) के स्रोत, ऋणपत्रों के शोधन की विधियाँ, एकमुश्त भुगतान विधि द्वारा ऋणपत्रों का शोधन, (A) सेबी के मार्ग निर्देश, (B) ऋणपत्र शोधन संचय खाता का प्रदर्शन, ऋणपत्र का शोधन या विमोचन, ऋणपत्रों के शोधन के लिये आवश्यक कोष का स्रोत, ऋणपत्रों के निर्गमन की शर्तें, अंशों तथा नये ऋणपत्रों के निर्गमन द्वारा शोधन, ऋणपत्रों के निर्गमन का लेखांकन व शोधन, लौटाने एवं माँग विकल्प वाले बन्धपत्र का शोधन, वार्षिक किस्त (आहरण) द्वारा ऋणपत्रों का शोधन, खुले बाजार से अपने ऋणपत्रों का क्रय करके ऋणपत्रों का शोधन, तुरन्त रद्द करने के लिए ऋणपत्रों का क्रय करना, अपने ऋणपत्र पर ब्याज का संव्यवहार, अपने ऋणपत्रों का व्याज रहित और ब्याज सहित क्रय परिवर्तन द्वारा शोधन, परिवर्तन द्वारा शोधन के वैधानिक नियम, एक निर्धारित अवधि के बाद भुगतान, शोधन कोष विधि की कार्य प्रणाली में प्रयुक्त चरणबद्ध क्रियाएँ, सिंकिंग फण्ड या ऋणपत्र शोधन कोष विधि का लेखांकन संव्यवहार, शोधन कोष तालिका।

30. कम्पनी के वित्तीय विवरण- वित्तीय विवरणों का अर्थ, आर्थिक चिट्ठा या तुलना पत्र या स्थिति विवरण, आर्थिक चिट्ठे की विशेषता, लाभ-हानि विवरण अथवा आय विवरण लेखा टिप्पणियाँ, रोकड़ प्रवाह विवरण, वित्तीय विवरणों की प्रकृति, मंडल की रिपोर्ट संचालकों की रिपोर्ट, अंकेक्षकों की रिपोर्ट, वित्तीय विवरण, वित्तीय विवरणों के उद्देश्य, वित्तीय विवरणों के प्रकार, आय विवरण का स्वरूप एवं प्रारूप कम्पनी के वित्तीय विवरण या अन्तिम खातों की कम्पनी अधिनियम, 2013 की अनुसूची III* समता एवं दायित्वों की व्याख्या, सम्पत्तियों की व्याख्या, लाभ-हानि विवरण का प्रारूप एवं तैयार करने के सामान्य अनुदेश, लाभ-हानि विवरण तैयार करने के लिए सामान्य अनुदेश, वित्तीय विवरणों के प्रयोगकर्ता, वित्तीय विवरणों की सीमाएँ एक आदर्श वित्तीय विवरण की विशेषताएँ ।

31. वित्तीय विवरणों का विश्लेषण एवं निर्वाचन- वित्तीय विवरणों के विश्लेषण का आशय, वित्तीय विवरणों के विश्लेषण के उद्देश्य, वित्तीय विवरणों के विश्लेषण की आवश्यकता, वित्तीय विवरणों का निर्वाचन, विश्लेषण एवं निर्वचन की कार्य पद्धति, वित्तीय विवरणों के विश्लेषण के प्रकार, (A) क्षैतिज विश्लेषण एवं लम्बवत् विश्लेषण के मध्य अंतर (B) वित्तीय विवरण विश्लेषण के मानक, वित्तीय विवरणों के विश्लेषण की रीतियाँ या उपकरण या तकनीक, तुलनात्मक वित्तीय विवरण या विश्लेषण, तुलनात्मक विवरणों के प्रकार, तुलनात्मक आर्थिक चिट्ठा के लाभ, वित्तीय विश्लेषण का महत्व, वित्तीय विश्लेषण के साधन, समान माप विवरण या विश्लेषण, सामान्य आकार का स्थिति विवरण, प्रवृत्ति विश्लेषण, प्रवृत्ति विश्लेषण में सावधानियाँ, औसत विश्लेषण, वित्तीय विवरण विश्लेषण की सीमाएँ।

32. लेखांकन अनुपात - अनुपात का आशय लेखांकन अनुपात का अर्थ, अनुपात विश्लेषण का आशय, अनुपात विश्लेषण के लाभ, (A) अनुपात के प्रकार, अनुपात विश्लेषण की सीमाएँ अनुपातों का वर्गीकरण, तरलता अनुपात, चालू अनुपात एवं तरल अनुपात में अन्तर पूर्ण तरलता अनुपात, शोधनक्षमता अनुपात, ऋण समता अनुपात, स्वामित्व अनुपात, शोधनक्षमता अनुपात, स्थायी सम्पत्ति अनुपात, शोधनक्षमता अनुपात, पूँजी दन्तीकरण अनुपात, व्याज व्याप्ति अनुपात या ऋण सेवा अनुपात, ऋण का कुल कोषों से अनुपात, आवर्त या से क्रियाशीलता के अनुपात, स्कन्ध आवर्त अनुपात, देनदार आवर्त अनुपात अथवा व्यापारिक प्राप्य आवर्त अनुपात, औसत वसूली अवधि लेनदार आवर्त अनुपात या व्यापारिक देय अनुपात, कार्यशील पूँजी आवर्त अनुपात, सम्पत्तियों का आवर्त अनुपात लाभदायकता अनुपात, सामान्य लाभदायकता अनुपात, सकल लाभ अनुपात का उदेश्य एवं महत्व, शुद्ध लाभ अनुपात, संचालन (परिचालन) अनुपात, व्यय अनुपात, सम्पूर्ण लाभदायकता अनुपात, समता पूँजी पर प्रत्याय, (ब) समता अंश पूँजी के आधार पर, विनियोजित पूँजी पर प्रत्याय

33. रोकड़ प्रवाह विवरण (लेखांकन मानक-3 के आधार पर)- रोकड़ प्रवाह विवरण का आशय, रोकड़ प्रवाह विवरण के उद्देश्य या प्रयोग, रोकड़ प्रवाह विवरण के लाभ या महत्व, रोकड़ प्रवाह विवरण की सीमाएँ, रोकड़ प्रवाह विवरण एवं कोष प्रवाह विवरण में अन्तर, रोकड़ प्रवाह विवरण और रोकड़ बजट में अन्तर, रोकड़ प्रवाह विवरण और लेखांकन मानक-3, रोकड़ प्रवाह विवरण में अन्य कुछ स्पष्टीकरण, परिचालन क्रियाएँ, प्रत्येक क्रिया से रोकड़ प्रवाह को पृथक् रूप से दर्शाने का महत्व, रोकड़ प्रवाह कब होता है ?, रोकड़ प्रवाह को तैयार करना, बिना समायोजन के रोकड़ प्रवाह विवरण को तैयार करना, रोकड़ प्रवाहों का वर्गीकरण, अप्रत्यक्ष रीति, विभिन्न क्रियाओं से रोकड़ प्रवाह की गणना अंतरिम लाभांश, संचय में हस्तांतरण, व्यय के लिए प्रावधान कर के लिए प्रावधान, किस प्रकार चुकाए गए आयकर की गणना की जाती है 2, परिचालन क्रियाओं से सम्बन्धित चालू सम्पत्तियों एवं दायित्वों में परिवर्तनों का समायोजन, विनियोजन क्रियाओं से रोकड़ प्रवाह।

व्यवसाय अध्ययन


1. भारत में वाणिज्य या इतिहास - वाणिज्य का इतिहास, भारत के प्रमुख व्यापारिक केन्द्र, भारत के प्रमुख व्यापारिक एवं औद्योगिक केन्द्र, आयात व निर्यात, भारतीय प्रायद्वीप का विश्व अर्थव्यवस्था में स्थान

2. व्यवसाय: प्रकृति एवं उद्देश्य प्रारंभिक, मानवीय क्रियाएँ, क्रियाओं को आर्थिक और अनार्थिक, श्रेणियों में रखने का आधार मानवीय क्रियाओं का वर्गीकरण, आर्थिक एवं अनार्थिक क्रियाओं में अन्तर व्यवसाय, पेशा, रोजगार या सेवा, व्यवसाय, पेशा तथा नियोजन या रोजगार में अन्तर व्यवसाय और पेशे में समानता, व्यवसाय के उद्देश्य या महत्व, व्यावसायिक क्रियाओं का वर्गीकरण, वाणिज्य, वाणिज्य के अंग, व्यापार की सहायक क्रियाएँ, उद्योग, वाणिज्य एवं व्यापार में अंतर, व्यावसायिक जोखिमः प्रकृति एवं कारण, व्यावसायिक जोखिमों की प्रकृति या विशेषताएँ, बाजार की स्थिति का जोखिम पर प्रभाव, व्यावसायिक जोखिम के कारण, व्यवसाय में लाभ का योगदान या भूमिका, (क) ज्या अधिकाधिक लाभ कमाना व्यवसाय का उद्देश्य (लक्ष्य) है, (ख) प्रथम सेवा तथा फिर लाभ का सिद्धान्त, (ग) सेवा द्वारा लाभ अर्जित करना।

3. एकाकी स्वामित्व अथवा एकाकी व्यापार- व्यावसायिक संगठन के प्रारूप का अर्थ, एकाकी व्यापार या व्यवसाय का उद्गम, एकाकी स्वामित्व का अर्थ, विशेषताएँ एकाकी स्वामित्व या एकाकी व्यापार की वैधानिक स्थिति, एकाकी व्यापार के गुण लाभ या महत्व, दोष या हानियाँ, क्या एकाकी व्यापार असभ्यता के युग का अवशेष है ?

4. साझेदारी- साझेदारी संगठन साझेदारी का अर्थ, विशेषताएँ प्रकार साझेदारों के प्रकार साझेदारी के लाभ, - गुण तथा महत्व दोषः साझेदारी तथा एकाकी व्यवसाय में अन्तर साझेदारी तथा संयुक्त हिन्दू पारिवारिक व्यवसाय में अन्तर, साझेदारी फर्म का गठन अथवा निर्माण, साझेदारी फर्म का पंजीयन (रजिस्ट्रेशन) ।

5. संयुक्त हिन्दू परिवार- व्यवसाय संयुक्त हिंदू परिवार का अर्थ हिंदू विधान के सम्प्रदाय, संयुक्त हिन्दू - पारिवारिक व्यवसाय के गुण या लाभ, दोष या हानियाँ ।

6. सहकारी समितियाँ – सहकारी संगठन का अर्थ, विशेषताएँ, उद्देश्य, सहकारी संगठन के गुण, लाभ - अथवा महत्व, सहकारी संगठन के अवगुण अथवा दोष, भारत में सहकारी संगठनों की शिथिलता के कारण, दोषों के निवारणार्थं सुझाव, सहकारी समिति तथा संयुक्त पूँजी कम्पनी में अन्तर सहकारी समिति स्थापित करने की विधि/पंजीयन, सहकारी समिति एवं साझेदारी में अन्तर सहकारी समितियों के प्रकार।

7. कम्पनी / संयुक्त पूँजी वाली कम्पनी- कंपनी संगठन, अर्थ, विशेषताएँ, गुण अथवा लाभ व दोष,- संयुक्त पूँजी कम्पनी तथा साझेदारी में अन्तर कम्पनियों के प्रकार, निजी कम्पनी से लाभ, दोष एवं विशेषाधिकार, सार्वजनिक कम्पनी, एकल व्यक्ति कंपनी। 8. कम्पनी का निर्माण कम्पनी की स्थापना विभिन्न चरण, A प्रवर्तन, B. समामेलन अथवा रजिस्ट्रेशन, व्यवसाय का प्रारम्भ, कम्पनी की स्थापना में प्रयोग होने वाले मुख्य प्रलेख, II. पार्षद अन्तर्नियम का अर्थ तथा परिभाषा, पार्षद सीमानियम तथा पार्षद अन्तर्नियम में अंतर, III. प्रविवरण, स्थानापन्न प्रविवरण।

9. व्यावसायिक संगठनों के प्रारूप का चयन तथा व्यवसाय का प्रारंभ- व्यावसायिक संगठनों के प्रारूप का चयन, व्यावसायिक संगठन के विभिन्न प्रारूपों में अंतर, संगठन के स्वामित्व का निर्णय, संगठन के विभिन्न प्रारूपों की उपयुक्तता, व्यवसाय प्रारंभ करते समय ध्यान रखने योग्य, मुख्य बातें अथवा समस्याएँ ।


10. निजी क्षेत्र एवं सार्वजनिक क्षेत्र- निजी क्षेत्र / निजी उपक्रम का अर्थ, विशेषताएँ, गुण अथवा लाभ, हानियाँ निजी उपक्रमों के प्रारूप, सार्वजनिक क्षेत्र, सार्वजनिक उपक्रमों की विशेषताएँ, सार्वजनिक क्षेत्र के व्यवसाय के उद्देश्य सार्वजनिक उपक्रमों के लाभ एवं दोष, भारत में सार्वजनिक क्षेत्र का सार्वजनिक, उपक्रम का भविष्य, निजी क्षेत्र एवं सार्वजनिक क्षेत्र या निजी एवं सार्वजनिक उपक्रमों में अन्तर विभिन्न सार्वजनिक उपक्रमों का तुलनात्मक अध्ययन, सार्वजनिक क्षेत्र की बदलती भूमिका, बोर्ड द्वारा प्रबन्धित राजकीय उपक्रम, मिश्रित क्षेत्र ।

11. ग्लोबल उपक्रम (बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ) संयुक्त उपक्रम - बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ विशेषताएँ, लाभ या भूमिका, हानियाँ, भारतीय तथा विदेशी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के कुछ उदाहरण, भारत में भूमण्डलीय उपक्रम और उनके द्वारा उत्पादित वस्तुएँ, बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की विचारधारा, संयुक्त साहस या संयुक्त उपक्रम, सार्वजनिक निजी साझेदारी। 

12. व्यावसायिक सेवाएँ: बैंकिंग- व्यावसायिक सेवाओं का अर्थ बैंक, बैंकों के प्रकार ई-बैंकिंग, चालू खाता, बचत खाता तथा स्थायी बैंक जमा खाते का तुलनात्मक अध्ययन; अंकीय भुगतान। 

13. बीमा: एक परिचय- बीमा का अर्थ, विशेषताएँ: बीमा के प्रकार, बीमा के सिद्धान्त, बीमा अनुबन्ध के प्रकार, पुनर्बीमा एवं दोहरा बीमा, पुनर्बीमा एवं दोहरा बीमा में अन्तर इंश्योरेंस एवं एश्योरेंस, बीमा के लाभ अथवा महत्व, अन्य जोखिमों का बीमा ।

14. जीवन बीमा, अग्नि एवं सामुद्रिक बीमा (A) जीवन बीमा, अर्थ: जीवन बीमा में सुरक्षा एवं विनियोग - दोनों तत्व विद्यमान हैं, जीवन बीमा के सिद्धान्त, जीवन बीमा पत्रों के प्रकार, क्या जीवन बीमा अनुबन्ध क्षतिपूर्ति का अनुबन्ध है ? जीवन बीमा कराने की विधि / प्रक्रिया (B) अग्नि बीमा, अग्नि बीमा की प्रकृति, अग्नि बीमा पत्रों के प्रकार, अग्नि बीमा अनुबन्ध के आवश्यक लक्षण अथवा तत्व, (C) सामुद्रिक बीमा, सामुद्रिक बीमा की विषय-वस्तु, सामुद्रिक बीमा के सिद्धान्त, सामुद्रिक बीमा अनुबन्ध के आवश्यक तत्व / विशेषताएँ, विविध बीमा एवं स्वास्थ्य बीमा, जीवन बीमा, अग्नि बीमा तथा सामुद्रिक बीमा में अन्तर जीवन बीमा और सामान्य बीमा में अन्तर ।

15. डाक एवं टेलीकॉम सेवाएँ / सन्देश वाहन सेवाएँ-  सन्देशवाहन का अर्थ, सन्देशवाहन के माध्यम 1. राष्ट्रीय बचत पत्र, II. किसान विकास पत्र, III. सार्वजनिक भविष्य निधि, IV. मासिक आय योजना, आवर्ती जमा, आधुनिक माध्यम / आधुनिक प्रवृत्तियाँ, II टेलीकॉम या दूर संचार सेवाएँ। -भण्डारण / संग्रहण भण्डारण, भण्डारण के कार्य या लाभ, प्रकार, आदर्श संग्रहण 

16. व्यावसायिक सेवाएँ- भ या भण्डारगृह की विशेषताएँ, भारतवर्ष में भण्डारगृह ।

17. ई-बिजनेस एवं सेवाओं का बाह्यकरण— ई-बिजनेस का अर्थ, ई-कामर्स का अर्थ ई-कामर्स का अर्थ, ई-कॉमर्स एवं ई-बिजनेस, ई-बिजनेस का क्षेत्र, परम्परागत तथा ई-बिजनेस में अन्तर, ई-कॉमर्स / ई-बिजनेस के लाभ, ई-बिजनेस से प्राप्त अवसर, ई-बिजनेस की सीमाएँ, ई लेन-देनों की सुरक्षा एवं बचाव, व्यावसायिक लेन-देनों (सौदों) की सुरक्षा, ई-बिजनेस से लेन-देनों की सुरक्षा के उपाय ई-कॉमर्स / ई-बिजनेस के लिए आवश्यक संसाधन, ऑन-लाइन लेन-देन, बिक्री उपरान्त सेवा, ई-बिजनेस / ई-कॉमर्स के विकास / विस्तार में बाधाएँ, भारत में 'ई-कॉमर्स' अथवा ई-बिजनेस का भविष्य, वेव डायरेक्टरी, धारणा, सेवाओं के बाह्यकरण का अर्थ, बाह्य सेवाओं के प्रकार, बी. पी. ओ. अथवा कॉल सेंटर, BPO एवं KPO में अन्तर, स्वचालित टेलर मशीन, स्मार्ट कार्ड।

18. सामाजिक उत्तरदायित्व की धारणा- सामाजिक उत्तरदायित्व के पक्ष में तर्क, व्यवसाय एवं वातावरण संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण का व्यवसाय पर प्रभाव, व्यावसायिक नीतिशास्त्र, सामाजिक मूल्य तथा व्यावसायिक नैतिकता ।

19. व्यावसायिक वित्त की धारणा-  व्यावसायिक वित्त का अर्थ, परिभाषाएँ, विशेषताएँ वित्त का महत्व, व्यासायिक वित्त के स्रोत अथवा साधन, अंश, लाभ का पुनर्विनियोजन प्रतिधारित लाभ/ अवितरित लाभ/ लाभ विनिवेश, ऋण कोष अथवा उधार पूँजी, शेयर धारियों व ऋणपत्रधारियों में अन्तर समता अंश तथा पूर्वाधिकारी अंश में अन्तर अंश एवं ऋणपत्र में अन्तर सार्वजनिक जमा या जन निक्षेप, व्यावसायिक साख, ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसिप्ट, अमेरिकन, डिपॉजिटरी रिसिप्ट तथा भारतीय डिपॉजिटरी, रिसिप्ट संस्थागत वित्त प्रबन्ध, भारतीय यूनिट ट्रस्ट, राष्ट्रीय औद्योगिक विकास निगम, राज्य वित्त निगम ।

20. विषय परिचय- उद्यमिता की अवधारणा, अर्थ एवं परिभाषाएँ, उद्यमिता की आवश्यकता/ महत्व, उद्यमिता विकास कार्यक्रमों के उद्देश्य, शिक्षण तथा प्रशिक्षण में अंतर, प्रशिक्षण का महत्व, उद्यमिता विकास की प्रक्रिया, उद्यमिता विकास प्रशिक्षण के प्रकार, बौद्धिक सम्पदा के अधिकार। 

21. लघु व्यवसाय : एक परिचय- लघु व्यवसाय का अर्थ, लघु उद्योगों की भूमिका एवं महत्व, ग्रामीण भारत में छोटे व्यवसाय की भूमिका, लघु उद्योगों की समस्याएँ, ग्रामीण, पिछड़े व पहाड़ी क्षेत्रों में उद्योगों को वित्तीय सहायता, सरकार द्वारा लघु एवं कुटीर उद्योगों को सहायता एवं प्रोत्साहन

22. आंतरिक व्यापार अर्थ एवं प्रकार- थोक व्यापारः अर्थ एवं सेवाएँ, थोक व्यापार की विशेषताएँ थोक व्यापारी के प्रकार, थोक व्यापारी के कार्य, थोक व्यापारी का संगठन, धोक व्यापार आवश्यक है,

23. फुटकर व्यापार अर्थ एवं प्रकार- फुटकर व्यापारी के कार्य, फुटकर विक्रेताओं की सफलता के लिए आवश्यक तत्व, फुटकर विक्रेता की सेवाएँ, भारत में फुटकर व्यापारियों की समस्याएँ, समस्याओं के हल हेतु सुझाव, जी. एस. टी. वस्तु एवं सेवा कर, श्रृंखलाबद्ध स्टोर अथवा बहुसंख्यक दुकानें, विभगीय भंडार तथा बहु विक्रयशालाओं या श्रृंखलाबद्ध विक्रयशालाओं में अन्तर डाक द्वारा व्यापार, उपभोक्ता सहकारी भण्डार, मॉल्स, स्वचालित विक्री मशीन, चैम्बर ऑफ कॉमर्स तथा इण्डस्ट्रीज, फुटकर व्यापारी तथा थोक व्यापारी में अन्तर

24. अन्तर्राष्ट्रीय व्यवसाय- अन्तर्राष्ट्रीय व्यवसाय का अर्थ, अन्तर्राष्ट्रीय व्यवसाय की प्रकृति, आन्तरिक व्यापार तथा बाह्य अथवा अन्तर्राष्ट्रीय व्यवसाय में अन्तर अन्तर्राष्ट्रीय व्यवसाय का क्षेत्र, अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के महत्व या लाभ, अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से हानियों की वैधानिक स्थिति, अन्तर्राष्ट्रीय व्यवसाय के बाधक तत्व, बाह्य अथवा अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार / व्यवसाय में प्रवेश करने हेतु प्राथमिक सूचना के स्रोत, अन्तर्राष्ट्रीय व्यवसाय में प्रवेश के तरीके। 

25. आयात व्यापार-आयात व्यापार का अर्थ ।

26. निर्यात व्यापार- निर्यात व्यापार का अर्थ, निर्यात व्यापार में प्रयोग होने वाले मुख्य प्रलेख, भारत में निर्यात संवर्द्धन की आवश्यकता, निर्यात संवर्द्धन हेतु किये गये सरकारी प्रयास, निर्यात संवर्द्धन के लिए सुझाव, विदेशी व्यापार में प्रयुक्त कुछ प्रमुख लेखों का स्पष्टीकरण, जहाजी बिल्टी, नवभाटक (चार्टर पार्टी) और कप्तान की रसीद में अन्तर ।

27. विश्व व्यापार संगठन : अर्थ एवं भूमिका- विश्व व्यापार संगठन की विशेषताएँ, उद्देश्य, कार्य; विश्व व्यापार संगठन का संगठनात्मक ढाँचा, विश्व व्यापार संगठन तथा भारत, विश्व व्यापार समझौतों से भारत को लाभ या WTO के पक्ष में तर्क, विश्व बैंक, अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन (अंकटाड), बहुराष्ट्रीय निवेश गारंटी एजेंसी, भारतीय व्यापार प्रोन्नति संगठन (आई.टी.पी.ओ.) । 

प्रोजेक्ट कार्य : एक परिचय- 
1. प्रोजेक्ट की विषय वस्तु एक परिचय

2. उत्पादन प्रक्रिया एवं अपशिष्ट प्रबन्ध

3. मानव संसाधन प्रबन्ध 4. प्रबन्ध के स्तर एवं विभिन्न विभागों को कार्य प्रणाली।

28. प्रबंध की प्रकृति एवं महत्व प्रबन्ध की अवधारणा, अर्थ और परिभाषाएँ प्रभावपूर्णता एवं कुशलता में अन्तर, प्रबंध की विशेषताएँ प्रबन्ध के उद्देश्य, प्रबन्ध का महत्व, प्रबंध की प्रकृति, कुछ महत्वपूर्ण कथनों का विवेचन, प्रबन्ध के स्तर, प्रबन्ध के कार्य, समन्वय अवधारणा एवं महत्त्व, समन्वय और सहकारिता (सहयोग) में अन्तर

29. प्रबंध के सिद्धांत - प्रबंध के सिद्धांत अवधारणा, प्रबंध के सिद्धांतों की आवश्यकता तथा महत्व, हेनरी फेयोल द्वारा प्रतिपादित प्रबंध के सिद्धान्त, आदेश की एकता एवं निर्देश की एकता में अन्तर वैज्ञानिक प्रबन्धः सिद्धांत एवं पद्धतियाँ, समय अध्ययन एवं गति अध्ययन में अन्तर कार्य पद्धति अध्ययन एवं गति अध्ययन में अन्तर कारखाने में नियुक्त नायक अथवा फोरमैन एवं उनके उत्तरदायित्व, टेलर एवं फेयोल के सिद्धांतों का तुलनात्मक अध्ययन, असमानताएँ अथवा टेलर एवं फेयोल के विचारों में मतभेद हैं।

30. प्रबंध एवं व्यावसायिक वातावरण-  व्यावसायिक वातावरण अवधारणा, व्यावसायिक वातावरण का महत्त्व, व्यावसायिक वातावरण के अंग, समष्टि या सामान्य वातावरण के मुख्य घटक या व्यावसायिक वातावरण के आयाम, आर्थिक वातावरण के मुख्य घटक, भारत में आर्थिक वातावरण, विभिन्न आर्थिक सुधार, आर्थिक सुधारों के उद्देश्य, आर्थिक सुधारों के उद्देश्य अथवा सन् 1991 से भारत सरकार द्वारा आर्थिक नीति में किये गये प्रमुख परिवर्तन, सरकारी नीति में परिवर्तन का व्यवसाय एवं उद्योग पर प्रभाव, व्यावसायिक वातावरण में परिवर्तनों पर प्रबन्धकीय प्रतिक्रिया।

31. नियोजन - नियोजन अवधारणा, नियोजन के उद्देश्य, नियोजन का महत्व या लाभ, नियोजन की सीमाएँ / बाधाएँ एवं कठिनाइयाँ, नियोजन प्रक्रिया अथवा तकनीक अथवा कदम, योजनाओं के प्रकार, स्थायी तथा एकल उपयोग योजनाओं में अन्तर लक्ष्य और उद्देश्य के बीच अन्तर उद्देश्य तथा मोर्चाबंदी में अन्तर उद्देश्य एवं नीति में अन्तर व्यूह रचना और नीति में अन्तर नीति एवं कार्यविधि में अन्तर कार्यविधियों तथा विधियों (पद्धतियों) में अन्तर नीति एवं नियम में अन्तर नियम एवं विधि या पद्धति में अन्तर बजट तथा पद्धति में अन्तर प्रभावपूर्ण नियोजन हेतु आवश्यक बातें अथवा एक श्रेष्ठ नियोजन के आवश्यक लक्षण |

32. संगठन- संगठन अवधारणा, संगठन की विशेषताएँ संगठन का महत्व या लाभ, संगठन की अवधारणाएँ, संगठन प्रक्रिया, संगठनात्मक ढाँचा या संरचना, संगठन संरचना या ढाँचा के प्रारूप या प्रकार कार्यात्मक एवं प्रभागीय संगठन ढाँचा एक तुलनात्मक अध्ययन, औपचारिक और अनौपचारिक संगठन में अंतर, अधिकार अन्तरण या भारार्पण, अधिकार अंतरण के तत्व अधिकार एवं उत्तरदायित्व में अंतर, उत्तरदायित्व एवं जवाबदेही में अंतर, अधिकार अंतरण के तत्वों का तुलनात्मक अध्ययन, अधिकार अंतरण तथा विकेन्द्रीयकरण में अंतर, केन्द्रीयकरण और विकेन्द्रीयकरण के बीच अंतर ।

33. नियुक्तिकरण — नियुक्तिकरण का अर्थ एवं परिभाषाएँ, नियुक्तिकरण की विशेषताएँ नियुक्तिकरण का - महत्व / आवश्यकता, मानव संसाधन प्रबन्धः अवधारणा, नियुक्तिकरण प्रक्रिया, भर्ती, XI भर्ती के आंतरिक तथा बाह्य स्रोतों में अंतर, कर्मचारियों का चयन, भर्ती एवं चयन में अन्तर प्रशिक्षण एवं विकास, कार्य पर प्रशिक्षण तथा कार्य से परे प्रशिक्षण विधियों में अंतर, विकास, प्रशिक्षण एवं विकास में अंतर, प्रशिक्षण, विकास तथा शिक्षा में तुलना।

34. निर्देशन - निर्देशन अवधारणा, निर्देशन का अर्थ, निर्देशन का महत्व, निर्देशन के सिद्धांत, निर्देशन के तत्व, पर्यवेक्षण, निर्देशन तथा पर्यवेक्षण में अंतर, अभिप्रेरण, मास्लो के आवश्यकता प्राथमिकता क्रम को दिखाने वाला पिरामिड, मौद्रिक एवं अमौद्रिक प्रेरणाओं में अंतर नेतृत्व, प्रबन्ध कला एवं नेतृत्व में अंतर, संदेशवाहन, औपचारिक संदेशवाहन जाल, औपचारिक तथा अनौपचारिक संप्रेषण के बीच अन्तर 

35. नियन्त्रण- नियंत्रण का अर्थ, नियंत्रण प्रक्रिया, विभिन्न कार्यात्मक क्षेत्रों में प्रयोग होने वाले प्रमाप महत्वपूर्ण बिंदुओं पर नियंत्रण एवं अपवाद द्वारा प्रबंध के लाभ, प्रबन्धकीय नियंत्रण की तकनीकें। 

36. वित्तीय प्रबंध व्यावसायिक वित्तः अवधारणा, व्यावसायिक वित्त का अर्थ, वित्तीय प्रबन्ध, वित्तीय निर्णय, वित्तीय नियोजन, पूँजी ढाँचा, स्थायी पूँजी तथा कार्यशील पूँजो, शुद्ध एवं सकल कार्यशील पूँजी, कार्यशील पूँजी

37. वित्तीय बाजार- अर्थव्यवस्था में दो क्षेत्र प्रमुख होते हैं, वित्तीय बाजार का अर्थ, परिभाषाएँ, वित्त की माँग एवं पूर्ति, वित्तीय बाजार के कार्य, वित्तीय बाजार, मुद्रा बाजार, जमा प्रमाण पत्र और स्थायी जमा के बीच अन्तर, पूँजी बाजार, पूँजी बाजार व मुद्रा बाजार में अंतर, प्राथमिक बाजार व द्वितीयक (गौण) बाजार में अंतर, शेयर बाजार / स्टॉक एक्सचेंज स्कन्ध विपणि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड

38. विपणन प्रबन्ध-  विपणन से सम्बन्धित अवधारणाएँ या विपणन का आधार, विपणन अवधारणा, विपणन का अर्थ, विपणन की परिभाषा, विपणन की विशेषताएँ, किसका विपणन किया जा सकता है, विपणन प्रबन्ध, विपणन के कार्य, विपणन प्रबन्ध दर्शन / अवधारणाएँ विचार, विभिन्न प्रबंध विपणन दर्शनों का तुलनात्मक अध्ययन, विपणन और विक्रयण, विक्रयण और विपणन के बीच अन्तर, विपणन मिश्रणः अवधारणा, विपणन मिश्रण के तत्व, उत्पाद मिश्रण, लेबलिंग, पैकेजिंग, मूल्य मिश्रण, स्थान मिश्रण, भौतिक वितरण, भौतिक वितरण का महत्व, संवर्द्धन मिश्रण / प्रवर्तन मिश्रण, विज्ञापनः अवधारणा, भूमिका एवं आक्षेप, वैयक्तिक अथवा व्यक्तिगत विक्रय, विज्ञापन एवं व्यक्तिगत विक्रय में अंतर, विक्रय संवर्द्धन एवं सार्वजनिक संबंध, सार्वजनिक संबंध जन सम्पर्क।

39. उपभोक्ता संरक्षण - उपभोक्ता संरक्षण का अर्थ, भारत में उपभोक्ता शोषण के कुछ उदाहरण, उपभोक्ता संरक्षण का महत्व, उपभोक्ताओं को वैधानिक संरक्षण, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986, उपभोक्ताओं के अधिकार, उपभोक्ता के दायित्व, उपभोक्ता संरक्षण के उपाय (तरीके) एवं साधन, तीन-स्तरीय न्यायिक तंत्र अथवा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत उपचार एजेंसियाँ, तीन-स्तरीय उपचार एजेन्सियों का सारांश, उपभोक्ता संगठनों तथा गैर-सरकारी संगठनों की भूमिका, समाचार पत्रों की भूमिका ।

अर्थशास्त्र


1. परिचय- अर्थशास्त्र क्या है ? सांख्यिकी अर्थ, क्षेत्र एवं महत्व ।

2. ( समंकों का संकलन, व्यवस्थितीकरण एवं प्रस्तुतीकरण ) - समंकों का संकलन (प्राथमिक एवं

द्वितीयक समंक), समंकों के संकलन की विधियाँ, समंकों का वर्गीकरण एवं सारणीयन, समंकों का चित्रों द्वारा प्रस्तुतीकरण समंकों का बिन्दुरेख द्वारा प्रस्तुतीकरण ।

3. (सांख्यिकीय उपकरण एवं निर्वाचन) केन्द्रीय प्रवृत्ति की माप, अपकिरण की माप, सह-संबंध, - निर्देशांक या सूचकांक

4. (विकास अनुभव (1947-90) एवं 1991 से अपनाये गये आर्थिक सुधार)- स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय भारतीय अर्थव्यवस्था, भारत में पंचवर्षीय योजनाओं के सामान्य लक्ष्य (या उद्देश्य), कृषि विशेषताएँ, समस्याएँ एवं नीतियाँ, उद्योग-विशेषताएँ, समस्याएँ एवं नीतियाँ (औद्योगिक लाइसेंसिंग आदि), भारत का विदेशी व्यापार विशेषताएँ, समस्याएँ एवं नीतियाँ, भारत में आर्थिक सुधार-उदारीकरण, निजीकरण एवं वैश्वीकरण (एल.पी.जी.) नीतियाँ।

5. (भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष वर्तमान चुनौतियाँ) निर्धनता (गरीबी) एवं निर्धनता निवारण के मुख्य कार्यक्रम, ग्रामीण विकास: मुख्य मुद्दे, मानवीय पूँजी निर्माण, रोजगार संवृद्धि, अनौपचारीकरण एवं अन्य मुद्दे, मुद्रास्फीति समस्याएँ एवं नीतियाँ आधारिक संरचना अर्थ एवं प्रकार (वैयक्तिक अध्ययन : : ऊर्जा एवं प्रकार), संधृतिशील (या सतत् ) आर्थिक विकास एवं पर्यावरण। 

6. ( भारत का विकास अनुभव ) भारत का विकास अनुभव पाकिस्तान एवं चीन से एक तुलना, अर्थशास्त्र में परियोजना का निर्माण। 

7. (परिचय) - व्यष्टि अर्थशास्त्र - एक परिचय, अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएँ ।

8. ( उपभोक्ता व्यवहार एवं माँग)- उपभोक्ता संतुलन, माँग एवं माँग का नियम, माँग की कीमत लोच ।

9. ( उत्पादन व्यवहार एवं पूर्ति ) उत्पादन फलन एक साधन के प्रतिफल एवं पैमाने के प्रतिफल, लागत एवं आगम की धारणाएँ उत्पादक का संतुलन अभिप्राय एवं शर्तें पूर्ति एवं पूर्ति की लोच ।

10. (बाजार के प्रकार एवं पूर्ण प्रतियोगिता के अंतर्गत मूल्य निर्धारण के सामान्य अनुप्रयोग ) - बाजार के विभिन्न रूप अभिप्राय एवं विशेषताएँ पूर्ण प्रतियोगिता में मूल्य निर्धारण, माँग एवं पूर्ति के साधनों का अनुप्रयोग।

11. (राष्ट्रीय आय एवं संबंधित समुच्चय ) - समष्टि अर्थशास्त्र- एक परिचय, आय का चक्रीय प्रवाह, राष्ट्रीय आय से संबंधित समुच्चय एवं अवधारणाएँ, राष्ट्रीय आय का मापन 

12. (मुद्रा एवं बैंकिंग ) - मुद्रा अभिप्राय उद्भव एवं कार्य, व्यापारिक बैंक एवं साख सृजन, केन्द्रीय बैंक : अभिप्राय एवं कार्य, भारतीय बैंकिंग प्रणाली के नवीन महत्वपूर्ण सुधार एवं पहलू निजीकरण एवं आधुनिकीकरण। 

13. (आय एवं रोजगार का निर्धारण ) - समग्र माँग, समग्र पूर्ति एवं संबंधित धारणाएँ, अत्यधिक माँग : अर्थ, प्रभाव एवं ठीक करने के उपाय, अभावी माँग अर्थ, प्रभाव एवं ठीक करने के उपाय।

14. ( भारतीय अर्थव्यवस्था एवं सरकारी बजट) सरकारी बजट तथा अर्थव्यवस्था । 

15. ( भुगतान संतुलन व विदेशी विनिमय दर )- भुगतान संतुलन, विदेश विनिमय दर

शिक्षण शास्त्र


1. विषयों की प्रकृति एवं कार्य क्षेत्र - अवधारणा, इतिहास, विषयगत सौंदर्यबोध एवं कार्य क्षेत्र, निष्कर्षों की तार्किक वैधता ।

2. शिक्षार्थी अन्वेषण-  विद्यार्थी की तत्परता का मूल्याँकन, अधिगम को वास्तविक जीवन से संबंधित करना, समस्या को स्वतंत्र रूप से हल करने के अवसर, सामूहिक अधिगम युक्तियाँ, कक्षा में संवाद को बढ़ावा ।

3. उद्देश्य एवं प्राप्य उद्देश्य - राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 में शिक्ष के लक्ष्य, उद्देश्य और प्राप्य उद्देश्य विद्यालयीन शिक्षा में विषयगत व्यापक उद्देश्य । 

4. विषयों की पाठ्यचर्या - पाठ्यचर्या रुपरेखा निर्माण के सिद्धान्त, विभिन्न विद्यालयीन स्तरों 'पाठ्यचर्या ।

5. अवधारणाओं के शिक्षण एवं अधिगम हेतु पाठयोजना एवं विधियाँ - विविध शिक्षण विधियाँ एवं पाठ योजना, विविध अधिगम संसाधन (पाठ्यपुस्तक, दृश्य-श्रव्य मल्टी-मीडिया, इत्यादि) ।

शैक्षिक अभिवृत्ति


1. ज्ञान एवं सीखना - अर्थ प्रकृति महत्व, ज्ञान के विविध क्षेत्र, सांस्कृतिक ज्ञान एवं मूल्य । 

2. शिक्षण एक पेशे के रूप में -सकारात्मक अभिवृत्ति, अभिरूचि, एवं अभिक्षमता।

3. शिक्षण- अधिगम प्रक्रिया की समझ प्रभावी शिक्षण प्रक्रिया के मापदंड, प्रभावी सम्प्रेषण,अनुशासन, ग्राहयता, शिक्षण कौशल। 
4. रचनावादी शिक्षण - अधिगम प्रक्रिया, ज्ञान निर्माण की प्रक्रिया, रचनावादी कक्षा-कक्ष की विशेषता, रचनावादी शिक्षक ।

5. शिक्षकों का व्यावसायिक विकास-  सेवापूर्व सेवाकालीन प्रशिक्षण कार्यक्रम अधिगमकर्त्ताओं - का पेशेवर समुदाय नेतृत्व एवं समूह गतिकी (Professional Learning Community, Leadership qualities and group dynamics)

6. शिक्षा का लैंगिक परिप्रेक्ष्य - लिंग का जैविक, सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक निर्धारक, लैंगिक भूमिका का सामाजिक मनोविज्ञान, शिक्षा नीतियां एवं लैंगिक सरोकार, शिक्षा में लैंगिक मुद्दे ।

शैक्षिक मनोविज्ञान


शिक्षामनोविज्ञान की अध्ययन विधियाँ, मानव विकास, शारीरिक विकास, मानसिक विकास, संवेगात्मक विकास, सामाजिक विकास, नैतिक विकास, किशोरावस्था - विकास एवंसमस्याएँ, निर्देशन एवं परामर्श, अधिगम अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक, अधिगम के सिद्धान्त, बुद्धि, सृजनात्मकता, विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चे, वैयक्तिक भिन्नताएँ, व्यक्तित्व, व्यक्तित्व के सिद्धान्त, समायोजन, अभिप्रेरणा.

शिक्षा में आंकलन एवं मूल्याँकन


1. आकलन एवं मूल्याँकन - अर्थ, परिभाषा, मूल्यांकन प्रविधियों के प्रकार आकलन का आधार, वर्तमान मूल्याँकन प्रणाली के दोष, आकलन, मूल्याँकन, परीक्षा / परीक्षण में अंतर सतत् एवं व्यापक मूल्याँकन ।

2. विषय आधारित अधिगम का आकलन- आकलन उपकरण एवं रणनीतियाँ, दत्तकार्य एवं प्रकार, उपलब्धि परीक्षण निर्माण करना एवं उसका वर्गीकरण, योजना कार्य, निर्माण एवं उसके चरण.

3. शिक्षकों में उपयुक्त उपकरण निर्माण की योग्यता-  आकलन उपकरणों का निर्माण, कक्षा एवं विषयवार उपकरणों का प्रयोग, कल्पनाशीलता की विशेषताएँ, प्रकार, आकलन के उपयुक्त मानदंड के उद्देश्य, प्रकार, मानकों का निर्धारण एवं उनका प्रयोग, प्रतिपुष्टि के प्रकार, अधिगम कर्ता प्रोफाईल का निर्माण एवं संग्रहण, पोर्टफोलियो, रूब्रिक, विद्यार्थी प्रोफाईल का रखरखाव

4. परीक्षण- परीक्षण के प्रकार, वर्गीकरण, अच्छे परीक्षण के आवश्यक गुण, प्रशासन, विभिन्न विषयों में उपलब्धि परीक्षणI

सामान्य हिन्दी


1. स्वर, व्यंजन, वर्तनी

2. लिंग, वचन, काल

3. संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, किया, किया विशेषण, कारक

4. समास रचना एवं प्रकार

5. संधि- स्वर, व्यंजन एवं विसर्ग संधि 6. रस व अलंकार, दोहा, छंद, सोरठा

7. व्याकरणिक अशुद्धियाँ

8. शब्द रचना- उपसर्ग एवं प्रत्यय

9. शब्द प्रकार, तत्सम तदभव, देशज, विदेशी 

10. पर्यायवाची, विलोमार्थी, अनेकार्थी शब्द अनेक शब्दों या वाक्यांश के लिए एक शब्द 

11. मुहावरे व लोकोक्तियां

सामान्य अंग्रेजी

UNIT-1 ENGLISH GRAMMAR


1. Number, Gender, Articles

2. Pronoun, Adjectives, Verb, Adverb 

3. Use of some important Conjunctions

4. Use of some important preposition

UNIT-2 TRANSFORMATION OF SENTENCES


1. Active/Passive Voice

2. Direct/Indirect Narration

UNIT-3 VOCABULARY


1. Synonyms/Antonyms

2. One word substitution

3. Spellings

4. Proverb, Idioms and phrases

कम्प्यूटर संबंधी सामान्य ज्ञान


1. कम्प्यूटर का उपयोग- कम्प्यूटर का उपयोग कहाँ-कहाँ एवं किस लिए किया जाता है। इसकी सामान्य जानकारी ।

2. कम्प्यूटर के प्रमुख भाग- सी.पी. यू. इनपुट डिवाईस, आउटपुट डिवाइस की सामान्य जानकारी । 

3. प्रिंटर के प्रकार- इंकजेट, लेजरजेट एवं अन्य प्रकार के प्रिंटर

4. आपरेटिंग सिस्टम के नाम - एम.एस. डॉस, कमर्शियल एवं ओपन सोर्स आपरेटिंग सिस्टम के नाम । 

5. कार्यालय के उपयोग के लायक सामान्य माईक्रोसॉफ्ट ऑफिस के अंतर्गत वर्ड, एक्सेल, एवं पॉवर पाईन्ट की जानकारी । 

6. इंटरनेट के उपयोग- ई-मेल डाक्यूमेंट सर्चिंग, वेबसाईट सर्फिंग विभिन्न सरकारी विभागों के वेबसाईट की सामान्य जानकारी । 

7. एंटीवायरस के उपयोग- कम्प्यूटर वायरस से होने वाले नुकसान एवं कम्प्यूटर वायरस की सामान्य जानकारी।

8. मल्टीमीडिया के उपयोग- ऑडियो, वीडियों एवं टेक्स्ट का उपयोग करने की सामान्य जानकारी।

9. सी.डी./ डी.व्ही.डी. से संबंधित सामान्य जानकारी। 

10. गूगल, अलविस्ता, यू-ट्यूब की सामान्य जानकारी- सर्च इंजिन से वांछित जानकारी कैसे प्राप्त की जाए इसकी सामान्य जानकारी ।

सामान्य ज्ञान


1. भारतीय राजनैतिक व्यवस्था एवं संविधान-  मुख्य संवैधानिक प्रावधान, मौलिक कर्तव्य एवं अधिकार सूचना का अधिकार, सांस्कृतिक, राष्ट्रीय व्यक्तित्व, लोकतंत्र एवं चुनाव लोकसभा, राज्यसभा ।

2. भारतीय इतिहास एवं राष्ट्रीय आंदोलन-  भारतीय सभ्यता एवं सांस्कृतिक, ऐतिहासिक घटनाएं, (छ०ग० बोर्ड के कक्षा 10वीं तक के पाठ्यक्रम स्तर तक), भारतीय स्वतंत्रता का इतिहास 1857 से 1947 तथा 1947 के बाद का घटनाक्रम । 3. भूगोल- छत्तीसगढ़ बोर्ड के कक्षा 10 वीं तक के स्तर तक सामान्य भूगोल, भारत एवं विश्व का भूगोल ।

4. भारतीय अर्थव्यवस्था-  सामाजिक एवं आर्थिक विकास, जनसंख्या परिप्रेक्ष्य, सकल राष्ट्रीय उत्पादन और प्रति व्यक्ति आय पंचवर्षीय योजनाएं, कृषि व ग्रामीण विकास, औद्योगिक विकास, भारतीय अर्थव्यवस्था, बैंक प्रणाली, वर्तमान आर्थिक घटनाक्रम (छ0ग0 बोर्ड के कक्षा 10वीं तक के पाठ्यक्रम स्तर तक ) ।

5. सामान्य विज्ञान- छ०ग० बोर्ड के कक्षा 10वीं तक के स्तर तक भौतिकी, रसायनशास्त्र एवं जीव तथा वनस्पति विज्ञान से संबंधित मूलभूत जानकारी।

6. छत्तीसगढ़ की सामान्य जानकारी- छत्तीसगढ़ का इतिहास, भूगोल, राजनैतिक व्यवस्था, अर्थव्यवस्था शासकीय योजनाएं, पुरस्कार-सम्मान, परम्परायें लोकगीत-संगीत, महत्वपूर्ण व्यक्तिव एवं छत्तीसगढ़ से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण विषय.
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